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बेवफ़ा निकले वो शहर.
जिनके लिए अपना गाँव छोड़ा था.
दुश्मनो की अब किसे जरूरत है
अपने ही काफी है दर्द देने के लिए
खामोशियां कभी बेवजह नहीं होती
कुछ दर्द ऐसे भी होते है जो आवाज़ छीन लेती है
हँसता हूँ पर दिल में गम भरा है
याद में तेरे दिल आज भी रो पड़ा है
मोहब्बत में हम उन्हें भी हारे है
जो कहते थे हम सिर्फ तुम्हारे है
ऐ ज़िन्दगी ख़त्म कर सांसों का आना जाना
मै थक चूका हूँ खुद को ज़िंदा समझते समझते
मोहब्बत है या नशा था जो भी था कमाल का था
रूह तक उतारते उतारते जिस्म को खोखला कर गया
कहाँ मिलता है अब कोई समझने वाला
जोभी मिलता है समझा के चला जाता है
किसी को कितना भी प्यार दे दो
आखिर में उसे थोड़ा कम ही लगता है
वक़्त से पहले हादसों से लड़ा हूँ
मै अपनी उम्र से कई साल बड़ा हूँ

By rutvi

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