
इंसान को आगें नहीं बढ़ने देती हैं.

औक़ात नहीं.

मगर बहुत कुछ सीखा कर जाता है.

जो भी दिया है वही बहुत है.

ठोकरें खा कर ही मिलती हैं.

जिसे आपके झूठ पर भी विश्वास हो.

और आलोचना से उबलना मत.

ख्वाहिश करना कोई गुनाह तो नहीं.

जो लफ्जों से मार देते है.

अक्सर ज़िन्दगी मीठी कर दिया करते है.