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रंगो की बौछार नहीं, नज़रो की इनायत ही काफी है !
तुम सामने होते हो तो चेहरा यूँ ही गुलाल हो जाता है !!
पीले रंग की ज़िद थी हम मीलों चले !
नीले का मलाल कि हम पीले न हुए !!
वो बात करने तक को राजी़ नही है !
और हम होली पर रंग लगाने की हसरत जमाये बैठे हैं !!
ज़माने के लिये तो कुछ दिन बाद होली है !
मगर मुझे तो रोज़ रंग देती है यादें तेरी !!
तेरा रंग तो पहले ही कब का चढ़ चुका इस मन पर !
ये होली तो तेरे रूखसार छूने का फ़क़त एक बहाना भर है !!
दिल ने एक बार ओर हमारा कहना माना हैं !
इस होली पर फिर उन्हें रंगने जाना हैं !!
पिचकारी की धार, गुलाल की बौछार !
अपनों का प्यार, यही है यारों होली का त्यौहार !!
कानों के पीछे रंगों के निशान छोड़ !
यादों का बस्ता लिये होली जा रही है !!
कसक अब भी उठती है होली के उस दिन की !
सूखे सूखे से लौट आए थे उसे सूखा छोड़कर !!
सिर्फ प्यार का नहीं इस बार, ज़रा दुआओं का रंग भी लगाना। – Happy Holi

By rutvi

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